आजकल छोटी सी उम्र में ही आंखों पर चश्मा लग जाता है. कुछ लोग इसी के साथ अपनी पूरी लाइफ बीता देते हैं तो कुछ चश्मा हटवाने के लिए तकनीकों की मदद लेते हैं. चश्मा हटाने की तकनीकों में से एक लेसिक सर्जरी भी है, जो काफी कॉमन है.
इसके जरिए बड़ी संख्या में लोग अब तक चश्मे से छुटकारा पा चुके हैं. लेसिक सर्जरी को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल और कंफ्यूजन भी है. ज्यादातर लोग जानना चाहते हैं कि क्या ये सर्जरी आंखों के लिए सेफ है या फिर इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. जानिए एक्सपर्ट्स इसे लेकर क्या कहते हैं…
डॉक्टर्स का मानना है कि अगर कोई आंखों से चश्मा उतारना चाहता है तो लेसिक सर्जरी वाली तकनीक बेहद असरदार और सुरक्षित है. हालांकि सर्जरी के बाद कई लोगों को आंखों में ड्राईनेस की प्रॉब्लम्स भी होती हैं, लेकिन कुछ दिनों तक आई ड्रॉप्स डालने से आंखें नॉर्मल हो जाती हैं.
इस सर्जरी का सक्सेस रेट 100% माना जाता है. यह सिर्फ उन्हीं लोगों का होता है, जो इसके क्राइटेरिया को पूरा करते हैं. कई लोगों की कॉर्निया पतली और कमजोर भी हो सकती है, ऐसे लोगों की स्क्रीनिंग करने के बाद सर्जरी कराने की सलाह नहीं दी जाती है.
नेत्र रोग विशेषज्ञ के अनुसार, लेसिक एक सर्जिकल प्रॉसेस है. इसमें एडवांस मशीनों से आंखों का नंबर हटाया जाता है और विजन को सही किया जाता है. लेसिक में डॉक्टर लेजर सर्जरी से कॉर्निया को पतला कर रीशेप करते हैं. इससे आंख की इमेज सही जगह बनने लगती है और विजन करेक्ट हो जाता है.
यह सबसे कॉमन सर्जरी है और कॉर्निया की थिकनेस अच्छी होने पर अच्छा रिजल्ट मिलता है. इस सर्जरी को करने से पहले आंखों की पूरी स्क्रीनिंग की जाती हैं. कॉर्निया की थिकनेस, कॉर्निया शेप, कॉर्निया की मजबूती, आंखों की ड्राईनेस और रेटिना का टेस्ट डॉक्टर करते हैं. इसके बाद जब सारी चीजें नॉर्मल होती है, तब ही लेसिक सर्जरी की जाती है.