पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने बीजेपी से टिकट कटने के बाद एक भावुक कर देने वाली चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी के बाद अब तमाम सवाल फिर से उठने लगे हैं. उन्होंने अपनी इस चिट्ठी के जरिए पीलीभीत से लोगों के प्रति स्नेह जताया है. जबकि अपने मां को याद कर भावुक नजर आए हैं लेकिन तमाम अटकलों के बीच एक बार फिर से पुराना सवाल इस चिट्ठी के बाद उठने लगा है.
वरुण गांधी ने अपने पत्र के जरिए स्पष्ट कर दिया है कि उनका पीलीभीत से पुराना रिश्ता रहा है. पीलीभीत का रिश्ता प्रेम और विश्वास का है, जो किसी राजनीतिक गुणा-भाग से बहुत ऊपर है. लेकिन इस पत्र के अंतिम में उन्होंने कहा, ‘मैं आपका था, हूं और रहूंगा.’ इस पत्र के जरिए उनके पीलीभीत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता तो जताई है. लेकिन पूरी पत्र में उन्होंने बीजेपी का कहीं भी जिक्र नहीं किया है.
अंतिम सांस तक रिश्ता
बीजेपी सांसद ने अपने पत्र के जरिए मां मेनका गांधी के साथ पहली बार पीलीभीत आने की यादों को भी ताजा किया. सांसद का यह पूरा पत्र भावुक पलों पर केंद्रत रहा. लेकिन इस दौरान उन्होंने कभी बीजेपी या पार्टी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को नहीं दर्शाया. उन्होंने यहां तक कहा दिया कि पीलीभीत से मेरा रिश्ता अंतिम सांस तक खत्म नहीं हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘सांसद के तौर पर नहीं तो बेटे के तौर पर ही सही मैं आजीवन आपकी सेवा के लिए प्रतिबद्ध हूं. मेरे दरवाजे आपके लिए पहले जैसे ही खुले रहेंगे.’
बीजेपी सांसद की बीजेपी के प्रति खामोशी ने एक बार फिर से राजनीति के जानकारों के मन में सवाल खड़े कर दिए हैं. हालांकि बीते दिनों उनकी मां मेनका गांधी ने इन तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए इन्हें अफवाह बता दिया था. जबकि प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी इसपर प्रतिक्रिया दे चुके हैं.