गोपालगंज के डीएम रहे जी कृष्णैया की तस्वीर के साथ उनकी पत्नी और उनकी हत्या के आरोपी आनंद मोहन।
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दिवंगत IAS जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा कृष्णैय्या ने बाहुबली और पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने आनंद मोहन को फिर से जेल भेजने की मांग की है। उनका कहना है कि दिवंगत IAS अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन डीएम की हत्या में आनंद मोहन को पहले फांसी की सजा हुई थी। बाद में इसे आजीवन कारावास कर दिया गया लेकिन नीतीश सरकार ने राजपूत वोट बैंक के लिए आनंद मोहन को रिहा कर दिया। उमा कृष्णैय्या का मानना है कि आजीवन कारावास का मतलब अंतिम सांस तक जेल होता है लेकिन आनंद मोहन को रिहा कर दिया गया।
नियम में संशोधन कर बाहर लाना, अच्छा डिसीजन नहीं
इससे पहले भी दिवंगत IAS जी कृष्णैय्या की पत्नी उमा कृष्णैय्या की पत्नी ने कहा था कि आनंद मोहन को नियम में संशोधन कर बाहर लाना, अच्छा डिसीजन नहीं है। अच्छा नहीं लग रहा है। बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स है ही। आनंद मोहन राजपूत है और उसके बाहर आने से उसको राजपूत वोट मिलेगा। इसलिए उसे बाहर लाया है। क्रिमिनल को बाहर लाने की क्या जरूरत है। वह भी मुख्यमंत्री इसमें इनवॉल्व हुए। इलेक्शन में राजपूतों का वोट मिलेगा।
आनंद मोहन के रिहा होते ही पद्मा ने कह दी थी यह बात
दिवंगत IAS अधिकारी जी कृष्णैया की बेटी पद्मा ने कहा था कि आनंद मोहन का जेल से छूटना हमारे लिए बहुत दुख की बात है। रिहाई का फैसला गलत है। हमलोग बिहार सरकार के इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। मैं नीतीश कुमार जी से अनुरोध करती हूं कि इस फैसले पर दोबारा विचार करें। इस फैसले से उनकी सरकार ने एक गलत मिसाल कायम की है। यह सिर्फ एक परिवार के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अन्याय है। यह बातें पद्मा ने हैदाराबाद में कही थी। इसके ठीक 2 दिन बाद उनकी मां उमा कृष्णैय्या ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में ऐसा किया गया
आनंद मोहन की रिहाई पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि फिर से नीतीश सरकार पर निशाना साधा। सुमो ने कहा कि एक व्यक्ति विशेष को छोड़ने के लिए आपने कानून को शिथिल कर दिया। हमारी पार्टी अगर रिहाई की मांग कर रही थी तो इसलिए नहीं कर रही थी कि आप नियमों में बदलाव कर किसी को रिहा कर दीजिए। अगर आपने कानून में बदलाव किया है तो हम इसका विरोध कर रहे हैं। आपने अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ये सब किया। 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर ये एक राजनीतिक निर्णय लिया गया है।