नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू होने के बाद से ही विपक्ष इसे विभाजनकारी कानून बताने में लगा हुआ है. विपक्षी दलों के जरिए मिलकर बने इंडिया गठबंधन ने कहा है कि अगर वे सत्ता में आएंगे तो सीएए को रद्द कर देंगे. इस पर केंद्रीय गृहमंत्री ने अमित शाह ने कहा है कि सीएए को पलटना असंभव है. ये संवैधानिक कानून है. उन्होंने ये भी कहा कि सीएए को कभी भी वापस नहीं लिया जाएगा. हम इस पर कोई समझौता नहीं करेंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, ‘सीएए कानून कभी वापस नहीं लिया जाएगा. हमारे देश में भारतीय नागरिकता सुनिश्चित करना हमारा संप्रभु अधिकार है, हम इससे कभी समझौता नहीं करेंगे.’ उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है, क्योंकि उसे वोट बैंक को मजबूत करना है. विपक्ष के पास कोई काम नहीं है, उन्होंने अभी तक जो भी कहा है, उसे पूरा नहीं किया है. हमारी सरकार जो कहती है, उसे पूरा करके दिखाती है.
कभी सत्ता में नहीं आएगा इंडिया गठबंधन
इंटरव्यू के दौरान जब उनसे सवाल किया गया कि विपक्षी नेता कह रहे हैं कि अगर 2024 में इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है, तो वे सीएए को वापस लेंगे. इस पर अमित शाह ने कहा, ‘वे इस बात को जानते हैं कि इंडिया गठबंधन सत्ता में नहीं आएगा. सीएए को पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार लेकर आई है. सीएए को रद्द करना असंभव है. ये पूरी तरह से संवैधानिक रूप से वैध कानून है.’
उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर रोक नहीं लगाई है. मैं उद्धव ठाकरे से पूछना चाहता हूं कि वह इस बात को स्पष्ट करें कि सीएए लागू किया जाना चाहिए या नहीं. वह अल्पसंख्यक वोट चाहते हैं और तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं.’ दरअसल, उद्धव ठाकरे ने कहा था कि बीजेपी चुनावी हथकंडे के तौर पर सीएए लेकर आई है. कोर्ट में अभी केस चल रहा है और नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है.
सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं
गृहमंत्री ने ये भी साफ किया कि सीएए का एनआरसी से कोई लेना-देना नहीं है. असम के साथ-साथ देश के बाकी के हिस्सों में भी सीएए लागू किया जाएगा. नॉर्थ ईस्ट के जिन राज्यों में दो तरह के विशेष अधिकार दिए गए हैं, सिर्फ उन्हीं इलाकों में सीएए लागू नहीं होगा. उन्होंने बताया कि इसमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां इनर लाइन परमिट (आईएलपी) का प्रावधान है और वे क्षेत्र जिन्हें संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत विशेष दर्जा दिया गया है.