Homeउत्तर प्रदेशमायावती बिगाड़ रहीं अपने पुराने शुभचिंतकों का खेल!

मायावती बिगाड़ रहीं अपने पुराने शुभचिंतकों का खेल!

 बहुजन समाज पार्टी ने सोमवार को उत्तर प्रदेश की घोसी लोकसभा निर्वाचन सीट के लिए प्रत्याशी के तौर पर बालकृष्ण चौहान के नाम का ऐलान कर दिया है. बसपा के इस फैसले से उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुहेल देव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर के लिए समीकरण बिगड़ सकते हैं. यूं तो ओपी राजभर, बसपा सुप्रीमो के पुराने शुभचिंतक रहे हैं और वह शायद ही कभी पूर्व सीएम मायावती के खिलाफ कुछ बोलते हों लेकिन ऐसा लग रहा है कि चुनावी समर में बीएसपी ने सुभासपा को पटखनी देने की ठान ली है.

भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल सुभासपा को समझौते के तहत घोसी लोकसभा सीट मिली हुई है. इस सीट पर राजभर ने अपने बेटे और सुभासपा नेता अरविंद राजभर को प्रत्याशी बनाया है. वहीं समाजवादी पार्टी ने राजावी राय पर दांव लगाया है. इस बीच बसपा के ऐलान से सुभासपा के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं हैं.

लड़ाई में पीछे हो सकते हैं राजभर?
दरअसल, राजभर को जिस जातीय समीकरण के भरोसे जीत का एहसास था, उसे मायावती की एक चाल ने धाराशाई कर दिया है. साल 1999 में बसपा के टिकट पर घोसी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से बालकृष्ण चौहान सांसद चुने गए थे. बाद में वह कांग्रेस में चले गए थे. हालांकि साल 2024 में वह फिर से बसपा में आ गए.

ओपी राजभर ने योगी सरकार में मंत्री दारा सिंह चौहान के साथ राजभर बाहुल्य सीट पर जीत हासिल करने के लिए अरविंद को प्रत्याशी बनाया. लेकिन बसपा द्वारा बालकृष्ण को कैंडिडेट बनाए जाने के बाद से माना जा रहा है कि राजभर इस लड़ाई में पीछे हो सकते हैं.

क्या है घोसी का जातीय समीकरण?
एक आंकड़े के अनुसार घोसी लोकसभा सीट पर दलित मतदाताओं की संख्या 4.5 लाखष राजपूत 68 हजार, भूमिहार 35 हजार, यादव- 1 लाख 75 हजार, मौर्या- 40 हजार, राजभर 1 लाख 25 हजार, निषाद 37 हजार, चौहान लगभग 1.5 लाखष मुस्लिम 2.42 लाख,वैश्य 77 हजार मतदाता हैं. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर 4 जून को परिणाम क्या होगा. घोसी लोकसभा सीट पर सातवें चरण में मतदान होगा.

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