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बिहार में आरक्षण 50 फ़ीसदी से ज़्यादा करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल राहत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार की उस याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर कर लिया है, जिसमें उसने आरक्षण पर पटना हाई कोर्ट के एक फ़ैसले को चुनौती दी थी.

बिहार सरकार की सुनवाई की अपील तो मंज़ूर कर ली गई है लेकिन फ़िलहाल उसे कोई राहत नहीं मिली है.

बिहार सरकार ने पिछड़े वर्ग, एससी और एसटी वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा को 50 फ़ीसदी से बढ़ा कर 65 फ़ीसदी कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने असंवैधानिक कहते हुए रद्द कर दिया था.

बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. लेकिन उसे इस मामले पर राहत नहीं मिली.

बिहार सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने हाई कोर्ट के फ़ैसले पर स्टे लगाने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ में ऐसे ही मामले में अंतरिम आदेश जारी किया था.

लेकिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा ने अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए इस मामले को सुनवाई करने के लिए लिस्ट कर लिया.

बिहार सरकार ने 2023 में जाति सर्वे का हवाला देते हुए एक संशोधन आदेश पारित किया था.

इसके तहत अत्यंत पिछड़े वर्ग का आरक्षण 18 फीसदी से बढ़ा कर 25 फीसदी कर दिया गया था. पिछड़े वर्ग का आरक्षण 12 से बढ़ा कर 18 फीसदी कर दिया गया था.

अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण 16 से 20 और अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण एक से दो फीसदी कर दिया गया था. लेकिन हाई कोर्ट इस आदेश को रद्द कर दिया था.

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