कलकत्ता हाई कोर्ट से रिटायर होते समय न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहने और इस संगठन में वापस जाने की इच्छा जताने वाले अपने बयान पर स्पष्टीकरण दिया है.
अपने विदाई भाषण में चित्तरंजन दास ने कहा था, “मैं एक संगठन का बहुत आभारी हूं, मैं बचपन से लेकर वयस्क होने तक इसमें था. मैंने साहसी, ईमानदार होना और दूसरों के प्रति समान दृष्टिकोण रखना और सबसे ऊपर, देशभक्ति की भावना और काम के प्रति प्रतिबद्धता सीखी है और कुछ लोगों भले ही ये पसंद न आए लेकिन मुझे यहां यह स्वीकार करना होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य था और हूं.”
ये बयान सुर्ख़ियों में आने के बाद रिटायर्ज जस्टिस चित्तरंजन दास ने कहा कि वह अपने फ़ेयरवेल पार्टी के लिए स्पीच तैयार नहीं करके गए थे. उन्होंने कहा कि मैंने तभी सोचकर बोला और जब मैं उन लोगों को धन्यवाद कहने लगा जो मेरे जीवन में मायने रखते हैं, तो अचानक आरएसएस की बात मेरे मन में आ गई.
पूर्व जस्टिस ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “मैंने बोल लिया. भगवान ने बुलवाया मुझसे. वो मेरी जड़ है, मूल है. मगर मैं मूल से बिछड़ गया हूं 37 साल पहले, तो ये दोगलापन होता अगर मैं अपने मूल को याद नहीं करता. ये मेरे दिल की बात थी.”