बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से डा. राजकुमार सांगवान और बसपा से प्रदीप बैंसला के बाद अब सपा ने बागपत लोकसभा सीट पर अपना उम्मीदार घोषित करते हुए मनोज चौधरी को चुनाव मैदान में उतार दिया है. बीजेपी-आरएलडी गठबंधन होने के बाद इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि सपा ब्राह्मण या गुर्जर पर दांव खेल सकती है, लेकिन ऐन वक्त टिकट ब्राह्मण को मिल सका न गुर्जर को, बीजेपी-आएलडी गठबंधन की राह पर चलते हुए सपा ने भी जाट कार्ड खेल दिया है.
लोकसभा चुनाव में पहली बार सपा ने जाट कार्ड खेलते हुए मनोज चौधरी को प्रत्याशी बनाया है. बागपत के ही ककड़ीपुर गांव के रहने वाले मनोज चौधरी ने 1998 में सपा से ही अपना राजनीति का सफर शुरू किया था. सपा ने वर्ष 2012 में पहली बार उन्हें छपरौली विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वह हार गए थे. उसके बाद सपा ने वर्ष 2017 में मनोज चौधरी पर दांव खेलते हुए उन्हें छपरौली विधानसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन दूसरी बार भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन इस बार पिछले चुनाव के मुकाबले वोटों में इजाफा देखने को मिला था. मनोज चौधरी दो साल जिलाध्यक्ष भी रहे और वर्तमान में बागपत लोकसभा प्रभारी थे.
लगाए जा रहे थे ये कयास
भाजपा-आरएलडी गठबंधन में यह सीट आरएलडी के खाते में आयी है जिस पर आरएलडी ने जाट प्रत्याशी डा. राजकुमार सांगवान को चुनाव मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने गुर्जर कार्ड चलते हुए प्रदीप बैंसला को टिकट दिया है. इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि सपा ब्राह्मण या गुर्जर पर दांव खेल सकती है. ब्राह्मण जाति से गुड्डू पंडित और पूर्व विधायक अमरपाल सिंह के नाम सबसे ऊपर चल रहे थे, लेकिन ऐन वक्त पर सपा ने भी आरएलडी की राह पर चलते हुए जाट कार्ड खेल दिया है, जिससे इस बार जाटों का बिखराव हो सकता है और इसका सीधा असर भाजपा-आरएलडी पर पलड़ने वाला है.