पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान का कर्ज़ बोझ काफ़ी तेज़ी से बढ़ा है. ज्यादा कर्ज़ होने से देश के बजट पर दबाव पड़ रहा है. पाकिस्तान के बढ़ते क़र्ज़ पर वहाँ से चर्चित अंग्रेज़ी अख़बार डॉन ने संपादकीय लिखा है. पढ़िए इस संपादकीय में क्या कहा गया है-
सरकार का राजकोषीय घाटा पिछले पांच वर्षों में आर्थिक उत्पादन का औसतन 7.3 फीसदी रहा, जो काफ़ी ज़्यादा है.
पाकिस्तान पर क़रीब 78.9 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपए का कर्ज़ है, जिसमें 43.4 करोड़ पाक़िस्तानी रुपए का घरेलू कर्ज़ और 32.9 लाख करोड़ रुपए का बाहरी कर्ज़ शामिल हैं.
पाकिस्तान लोन के जाल में बुरी तरह फंस चुका है. उसे पुराने कर्ज़ चुकाने के लिए और अधिक कर्ज़ लेने होंगे. जिससे पाकिस्तान को वार्षिक ऋण भुगतान भी ज़्यादा करना होगा.
उदाहरण के लिए, अधिकारियों ने अनुमान लगाया था कि चालू वित्त वर्ष के लिए ऋण भुगतान की राशि बढ़कर 7.3 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये हो जाएगी.
लेकिन उन्होंने अब अपने अनुमान को संशोधित कर इसे 8.3 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये कर दिया है.पिछले वर्ष के लिए वित्त मंत्रालय की छमाही बजट समीक्षा रिपोर्ट इन चिंताओं की पुष्टि करती है.
रिपोर्ट से पता चलता है कि दिसंबर के पहले छह महीनों के दौरान देश का ऋण भुगतान 64 फ़ीसदी से बढ़कर 4.2 लाख करोड़ पाकिस्तान रुपये हो गया.
यह वृद्धि न केवल राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए एकत्रित ऋण के बढ़ते बोझ के कारण है, बल्कि घरेलू कर्ज़ के लिए 22 प्रतिशत की रिकॉर्ड उच्च ब्याज दर भी इसके लिए ज़िम्मेदार है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले में छह महीने में सिर्फ कर्ज़ चुकाने के लिए जितना खर्च किया गया है, वह टैक्स रेवेन्यू वृद्धि से कहीं ज़्यादा है. जिससे विकास पर एक रुपए खर्च नहीं हो सका.