संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ में देश भर से संत महात्मा पहुंच रहे हैं, लेकिन हरियाणा से आए हुए आवाहन अखाड़े के संत गीतानंद जी महाराज श्रद्धालुओं के बीच खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. गीतानंद जी महाराज अपने शरीर पर ढाई लाख रुद्राक्ष धारण किए रहते हैं. ढाई लाख रुद्राक्ष से तैयार की गई तकरीबन ढाई हजार मालाओं को शिवलिंग की आकृति बनाकर उसे अपने सिर पर रखे रहते हैं. सिर पर रखे हुए रुद्राक्ष का वजन तकरीबन पैंतालीस किलो होता है.
गीतानंद जी महाराज इसके साथ ही शरीर पर रुद्राक्ष का कवच भी धारण किए रहते हैं. सिर से लेकर पेट तक ढाई लाख रुद्राक्ष धारण करने की वजह से लोग इन्हें रुद्राक्ष वाले बाबा के नाम से भी जानते हैं. प्रयागराज महाकुंभ में यह बाबा जब सड़कों पर निकलते हैं तो उन्हें देखने और उनके साथ फोटो व सेल्फी लेने वालों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कोई रुद्राक्ष वाले इस बाबा के बारे में जानना चाहता है तो कोई उनके साथ तस्वीरें खिंचाना चाहता है. संगम की रेती पर शुरू हो रहे महाकुंभ में रुद्राक्ष वाले यह बाबा लोगों के बीच खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.
सन्यासियों के आवाहन अखाड़े से जुड़े हुए महंत गीतानंद हरियाणा के पलवल से आए हुए हैं. उनका आश्रम हरियाणा और पंजाब में है. गीतानंद जी महाराज के मुताबिक छह बरस पहले साल 2019 में वह प्रयागराज में संगम की रेती पर लगे कुंभ मेले में आए हुए थे. यहां उन्होंने बारह सालों के लिए सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था. यह संकल्प विश्व कल्याण और सनातन धर्म की मजबूती की कामना के साथ लिया गया था.
बाबा गीतानंद के मुताबिक शुरुआत में उन्होंने सवा लाख रुद्राक्ष धारण किया था. इसके बाद अब वह जहां भी जाते हैं लोग उन्हें रुद्राक्ष की मालाएं भेंट करते हैं. वह सभी मालाओं को एक के ऊपर एक शिवलिंग की आकृति में संजो कर उसे अपने सिर पर रखते हैं. उनके संकल्प की पूर्णाहुति 2031 में प्रयागराज कुंभ में होगी.