Homeउत्तर प्रदेशसुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को लगा बड़ा झटका, गदगद हुई कांग्रेस

सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को लगा बड़ा झटका, गदगद हुई कांग्रेस

यूपी मदरसा एक्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने प्रतिक्रिया दी है.

सोशल मीडिया साइट एक्स पर इमरान ने लिखा- माननीय सुप्रीम कोर्ट से यूपी सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने वाले फैसले पर रोक लगा दी.

इमरान ने कहा- थैंक्स
कांग्रेस नेता ने लिखा- उत्तर प्रदेश के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट  के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने में भूल की है

राज्यसभा सांसद ने लिखा- सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हाईकोर्ट का ये मानना कि ये एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है, ग़लत है. शुक्रिया माननीय उच्चतम न्यायालय

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करार दिया गया था. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश 
22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को ‘असंवैधानिक’ घोषित कर दियाथा .

न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने कानून को अधिकार क्षेत्र से बाहर घोषित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को एक योजना बनाने का निर्देश दिया था ताकि मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में समायोजित किया जा सके.

यह आदेश अंशुमान सिंह राठौड़ द्वारा दायर एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान आया था, जिसमें यूपी मदरसा बोर्ड की शक्तियों को चुनौती दी गई थी. साथ ही केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग तथा अन्य संबंधित मदरसों के प्रबंधन पर आपत्ति जताई गई थी. इसमें बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2012 जैसे मुद्दों पर भी आपत्ति जताई गई थी.

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