कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश से बीते सप्ताह स्कूल सेवा आयोग की परीक्षा के जरिए भर्ती जिन 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नौकरियां छिन गई थी उनको राज्य सरकार ने अप्रैल के वेतन का भुगतान कर दिया है.
सरकार ने पहले ही कहा था कि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले का फैसला नहीं होने तक वह वेतन देना जारी रखेगी.
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मंगलवार से ही इन शिक्षकों के बैंक खाते में वेतन का भुगतान शुरू हो गया है.
सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. स्कूल सेवा आयोग और माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं.
सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में सोमवार को इस मामले की पहली सुनवाई हुई थी.
अदालत ने राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों के खिलाफ सीबीआई जांच के हाई कोर्ट के आदेश पर तो रोक लगा दी है, लेकिन नौकरियां रद्द करने के फैसले पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पूरे मामले पर हैरानी जताई और सवाल किया कि मंत्रिमंडल ने आखिर अतिरिक्त पदों के सृजन को मंजूरी क्यों दी?
मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है.
अदालत का सवाल था कि जब ओएमआर शीट ही उपलब्ध नहीं है तो यह फैसला कैसे होगा कि किसने योग्यता के बल पर नौकरी हासिल की थी और कौन अयोग्य था?
फिलहाल अप्रैल का वेतन मिलने के बाद इन शिक्षकों ने राहत की सांस ली है, लेकिन उनके मन में आशंका बनी हुई है.
एक ऐसे शिक्षक ने सवाल किया कि इस महीने तो वेतन मिल गया, लेकिन यह कब तक मिलेगा? अगर सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को बहाल रखा तो हम क्या करेंगे?