Homeदेश विदेशबीजेपी के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया क्या बोले

बीजेपी के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया क्या बोले

कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजेंद्र और पार्टी के कई अन्य नेताओं को मैसूर में कथित भूमि घोटाले के विरोध में प्रदर्शन करने पर पुलिस ने गिरफ़्तार किया है.

बीजेपी के नेता कथित भूमि घोटाले में बेंगलुरु-मैसूर एक्सप्रेसवे पर रैली निकाल कर सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.

बीजेपी के प्रदर्शन के बाद कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भी मैसूर में रैली निकाल कर बीजेपी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया.

बीजेपी के कार्यकर्ता मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को कथित नियमों को ताक पर रखकर ज़मीन के आवंटन के मामले में प्रदर्शन कर रहे थे.

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र ने पत्रकारों से कहा, “मुख्यमंत्री के परिवार के ख़िलाफ़ इतने गंभीर आरोप लगे हैं कि मुख्यमंत्री खुद अपने परिवार का बचाव नहीं कर पा रहे हैं. बीजेपी ने एमयूडीए में पांच हज़ार करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार को उजागर किया है. यह मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वो इसकी जांच खुद सीबीआई को सौंपे.”

इस विवाद पर पहली बार मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जवाब दिया.

उन्होंने कहा, “सभी को जलन हो रही है कि एक ओबीसी समुदाय से आने वाला सिद्धारमैया दो बार मुख्यमंत्री बन गया. इसलिए साज़िश रची जा रही है. मैं नहीं डरूंगा.”

दरअसल सिद्धारमैया चरवाहा समुदाय से आते हैं.

सिद्धारमैया ने कहा है कि, “उनके बहनोई पीएम मल्लिकार्जुन स्वामी ने साल 2004 में एमयूडीए से 3.16 एकड़ जमीन खरीदी थी.”

सिद्धारमैया ने कहा, “मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने साल 2005 में मल्लिकार्जुन स्वामी की कृषि भूमि को परिवर्तित कर दिया. लेकिन जब उन्होंने इसे 2010 में मेरी पत्नी को उपहार में दिया था तब इसे विकसित नहीं किया गया था. एमयूडीए ने साल 2014 में इसे अवैध रूप से अधिग्रहित किया और साइट विकसित कर इसे वितरित किया.”

“जब भाजपा कर्नाटक में सत्ता में थी, तब मुआवजे के तौर पर साल 2021 में विजयनगर के विकसित इलाके में दूसरी ज़मीन दी गई थी. उस समय मैं विपक्ष का नेता था. क्या उस समय मुझ से पूछकर किया गया.”

“जब बीजेपी सत्ता में थी तब एमयूडीए ने ग़लती की तो इसके लिए मैं ज़िम्मेदार कैसे हुआ. परिवार ने मुआवजा मांगा था लेकिन विशेष रूप से विकसित क्षेत्र में जगह की मांग नहीं की थी.”

सिद्धारमैया का तर्क यह है कि पार्वती को भूमि के मूल मालिकों को अधिग्रहित स्थलों में से 50 प्रतिशत प्रदान करने की भाजपा सरकार की योजना के तहत 14 स्थल आवंटित किए गए थे. पिछले साल सत्ता में आने पर कांग्रेस पार्टी ने इस 50:50 योजना को ख़त्म कर दिया था.

उन्होंने ज़मीन को वापस करने की पेशकश की है यदि सरकार उन भूखंडों के बाज़ार मूल्य 67 करोड़ रुपये का भुगतान करने के लिए तैयार है.

विपक्ष के नेता आर अशोक ने दावा किया है कि एमयूडीए द्वारा भूखंडों के वितरण का पूरा मुद्दा 4,000 करोड़ रुपये का था.

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