जातिगत जनगणना को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक बयान पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने मंगलवार को एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “इन आरएसएस और बीजेपी वालों का कान पकड़कर, दंड बैठक कराके इनसे जातिगण जनगणना कराएंगे. इनकी क्या औकात है, जो जातिगत जनगणना नहीं कराएंगे.”
लालू प्रसाद यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा, “इन्हें इतना मजबूर करेंगे कि जातिगत जनगणना करनी ही पड़ेगी. दलित, पिछड़े, आदिवासी और ग़रीब की एकता दिखाने का समय अब आ गया है.”
हालांकि लालू प्रसाद यादव ने जाति जनगणना पर जिस पोस्ट को शेयर करते हुए प्रतिक्रिया दी है वो बात आरएसएस ने नहीं कही है. आरएसएस ने कहा है कि लालू यादव उस बात पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, जो आरएसएस ने कही ही नहीं है.
आरएसएस ने क्या कहा था?
आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने केरल में जातिगत जनगणना पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि ये एक संवेदनशील मुद्दा है.
सुनील आंबेकर ने कहा, “इस मामले में आरएसएस टिप्पणी कर चुका है. हमारे हिंदू समाज में जाति और जातीय संबंध एक संवेदनशील मुद्दा है. ये राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए महत्वपूर्ण मुद्दा है. इससे गंभीरता से निपटा जाना चाहिए, ना कि केवल चुनाव या राजनीति के लिए.”
उन्होंने कहा कि आरएसएस ऐसा मानना है कि कल्याणकारी योजनाओं के लिए उन जातियों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है, जो पिछड़ रही हैं. ऐसे में अगर सरकार को संख्या की ज़रूरत पड़ती है, तो वो उसे (संख्या) ले सकती है. ऐसा सरकार ने पहले भी किया है.
उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना का इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के कल्याण के लिए होना चाहिए. आंबेकर ने कहा, “इसका इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए एक राजनीतिक उपकरण के रूप में नहीं होना चाहिए.”इस मामले में अन्य राजनीतिक पार्टियों की भी प्रतिक्रिया आई है.
कांग्रेस ने क्या कहा?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मामले में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.उन्होंने कहा कि जातिगत जनगणना को लेकर आरएसएस ने जो कहा उससे कुछ बुनियादी सवाल उठते हैं.
उन्होंने लिखा, “क्या आरएसएस के पास जातिगत जनगणना का निषेधाधिकार है? आरएसएस जातिगत जनगणना पर इजाज़त देने वाला कौन होता है?”