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आपातकाल के 49 साल पूरे होने पर लोकसभा में क्या बोले स्पीकर ओम बिरला?

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने आपातकाल के 49 साल पूरे होने पर बुधवार को सदन को संबोधित किया.

एनडीए से जुड़े सांसद आपातकाल को लेकर कांग्रेस को घेर रहे हैं. वहीं इंडिया गठबंधन से जुड़े सांसद संविधान के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं.

25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाया गया था. तब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं.

ओम बिरला ने कहा, “यह सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है. इसके साथ ही हम सभी लोगों की संकल्प शक्ति की सराहना करते हैं जिन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया. अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र के रक्षा के लिए दायित्व निभाया.”

“भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा. इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई. बाबा साहेब आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान पर प्रचंड प्रहार किया था. भारत की पहचान पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर है. भारत में हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-संवाद का समर्थन हुआ. उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है.”

आपातकाल लगाए जाने के 49 साल पूरे होने पर एनडीए के सांसदों ने संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया है.

संसद में जब विपक्ष के सांसद ओम बिरला को स्पीकर बनने पर बधाई दे रहे थे, तब विपक्षी सांसद पिछली सरकार के दौरान सांसदों को निष्कासित किए जाने और विपक्ष की आवाज़ को अहमियत दिए जाने की बातें भी कह रहे थे.

अखिलेश यादव ने कहा- आपका अंकुश विपक्ष पर तो रहता ही है, सत्ता पक्ष पर भी रहे.

ओम बिरला ने कहा, “ऐसे में भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोप दी गई. भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया. अभिव्यक्ति की आज़ादी का गला घोंटा गया. इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए और उनकी आज़ादी छीन ली गई. “

“यह वो दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया. पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया. तब की सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदिया लगा दी थीं. न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था.”

उन्होंने कहा, “इमरजेंसी का वो समय हमारे देश के इतिहास में अन्याय काल का एक काला खंड था. आपातकाल लगाने के बाद उस समय कांग्रेस सरकार ने कई ऐसे निर्णय किए जिन्होंने हमारे संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया.”

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