सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की सब-कैटेगरी में आरक्षण दिया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 6:1 से यह फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी के साथ 2004 में 5 जजों की बेंच के उस फै़सले को भी पलट दिया, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में सब कैटेगरी नहीं बनाई जा सकती है.
2006 में पंजाब सरकार ने एक कानून पास किया था जिसके तहत अनुसूचित जाति के भीतर आधी सीटों पर दो जातियों को प्राथमिकता देने का प्रावधान था.
इससे पहले मौजूद कानून के तहत, अनुसूचित जाति के भीतर आधी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान था. इसे पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था.
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस मनोज मिश्रा के फैसले में कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति एक वर्ग में नहीं आते हैं और राज्य चाहे तो डाटा के आधार पर सब कैटेगरी बना सकता है.
चार जजों ने इस राय पर अपनी सहमति दी और अपने अलग फैसले लिखे.सिर्फ जस्टिस बेला त्रिवेदी ने इस फैसले से असहमति जताई है.