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लेटरल एंट्री पर विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री ने यूपीएससी से इसे रद्द करने का अनुरोध किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग मंत्री ( डीओपीटी ) जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखा है.इसमें लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया गया है.

पत्र में लिखा है कि पीएम का मानना है कि लेटरल एंट्री की प्रक्रिया हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर आधारित होनी चाहिए, खासकर आरक्षण के प्रावधानों को लेकर.इसमें लिखा है कि प्रधानमंत्री का मानना है कि सरकारी नौकरी में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है, जिसका उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना है.

यूपीएससी ने हाल में वरिष्ठ अफ़सरों के 45 पदों पर नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी किया था.ये पद संयुक्त और उप सचिव स्तर के हैं. इस तरह की नियुक्तियों का विरोध करने वालों का कहना है इनमें आरक्षण का प्रावधान न होने से पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का हक़ मारा जाएगा.

कांग्रेस ने क्या कहा?

कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया है. उसने लेटरल एंट्री को रद्द करने के अनुरोध वाले इस पत्र पर प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस ने पोस्ट में लिखा, “संविधान की जीत हुई. मोदी सरकार लेटरल एंट्री में बिना आरक्षण के भर्ती की साज़िश कर रही थी, लेकिन अब इस फैसले को वापस लेना पड़ा है. एक बार फिर मोदी सरकार को संविधान के आगे झुकना पड़ा है.”

पोस्ट में आगे लिखा है, “आरक्षण विरोधी इस फैसले का कांग्रेस अध्यक्ष और नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और INDIA गठबंधन ने खुलकर विरोध किया. इसकी वजह से मोदी सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा है. ये बाबा साहेब के संविधान की जीत है. ये हर दलित, शोषित, पिछड़ों की जीत है.”

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