बुधवार को जम्मू-कश्मीर में पहले चरण का मतदान हुआ. इस दौरान लोग बड़ी संख्या में मतदान केंद्रों पर वोट डालने पहुँचे. बुधवार को पहले चरण के मतदान में राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 24 सीटों के लिए वोटिंग हुई. इनमें कश्मीर की 16 और जम्मू की आठ सीटें शामिल हैं.
पहले चरण के मतदान में शामिल इन सभी 24 सीटों पर रिकॉर्ड 61.13 फ़ीसदी मतदान हुआ. इन सभी सीटों पर मतदान के बहिष्कार और ‘चरमपंथी घटनाओं’ का ख़तरा भी था.
जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पांडुरंग के पोल ने कहा ज़मीनी हालात में सुधार आया है और मतदाताओं की सुरक्षा भी पुख़्ता हुई है. लोगों को भी यह समझ आ गया है कि शांति और विकास के लिए मतदान ज़रूरी है. यही वजह है कि मतदान में बढ़ोतरी हुई है.
लोकसभा चुनावों के दौरान भी जम्मू कश्मीर में बड़ी संख्या में मतदान हुआ था. इस दौरान राज्य में रिकॉर्ड 58.46 फ़ीसदी मतदान हुआ था, जो कि पिछले 35 सालों में सबसे ज़्यादा था.
हालांकि साल 2022 में जम्मू कश्मीर का परिसीमन भी किया गया था. जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के ख़त्म होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है. ऐसी उम्मीद भी है कि इसके बाद एक बार फ़िर से इसके पूर्ण राज्य के दर्जे का दरवाज़ा खुलेगा.
कुलगाम में वोटिंग के बाद एक सरकारी कर्मचारी ने कहा वैसे तो मैं चुनावों का बहिष्कार करता था, लेकिन इस बार मैंने वोटिंग में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया है क्योंकि यही इस वक़्त ज़रूरी है. हमें ईमानदार लोगों की ज़रूरत है जो हमारा प्रतिनिधित्व कर सकें. ना केवल विकास के लिए बल्कि विधानसभा और पूरे देश में हमारी आवाज़ उठाने के लिए भी.
पहले चरण में सबसे ज़्यादा मतदान किश्तवाड़ के इंदरवाल में हुआ. यहां मतदान का आंकड़ा 82.16 फ़ीसदी था. वहीं सबसे कम पुलवामा में 43.21 फ़ीसदी मतदान हुआ. साल 1987 में जम्मू कश्मीर में सबसे ज़्यादा मतदान हुआ था. इस साल विधानसभा चुनाव में मतदान का आंकड़ा 75 फ़ीसदी था.