मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज की गौरवपूर्ण संस्कृति और उनकी मातृभूमि के प्रति अपार निष्ठा को सम्मान देते हुए भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में “जनजातीय गौरव दिवस” पर अंतर्राष्ट्रीय जनजातीय भागीदारी उत्सव का शुभारंभ किया। महोत्सव लखनऊ के गोमती नगर स्थित संगीत नाटक अकादमी में 15 से 20 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भारत के 22 राज्यों के साथ-साथ स्लोवाकिया और वियतनाम से भी कलाकार शामिल हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय समुदाय का मातृभूमि के प्रति त्याग, निष्ठा और वीरता को प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज न केवल भारत का मूल संप्रदाय है, बल्कि यह समुदाय मातृभूमि के प्रति उच्च भाव से प्रेरित होकर देश की सेवा में सदैव तत्पर रहा है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि जब देश पर विदेशी सत्ता का शिकंजा था, तब भगवान बिरसा मुंडा ने अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा और स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया। उन्होंने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि यह भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान को देशभर में सम्मान देने का महत्वपूर्ण कदम है। सीएम योगी ने बताया कि इस उत्सव के माध्यम से देश और प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए जनजातीय समुदाय के लोग अपनी कला और परंपरा को प्रस्तुत करेंगे। यह महोत्सव जनजातीय समाज के गौरवपूर्ण इतिहास, संस्कृति और उनके संरक्षण की दिशा में एक अनूठा प्रयास है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनजातीय समाज के सशक्तीकरण की दिशा में अपनी सरकार के प्रयासों पर जोर देते हुए कहा कि 2017 में प्रदेश में सरकार बनने के बाद उन्होंने जनजातीय समुदाय की आवश्यकताओं को प्राथमिकता दी क्योंकि पिछली सरकारों में यह समाज विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित था।
सीएम योगी ने जनजातीय समुदाय को विभिन्न सरकारी योजनाओं से जोड़ने के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा, “थारू, कोल, चेरु, गोंड, बुक्सा जैसे जनजातीय समुदायों के लिए सैचुरेशन योजना के माध्यम से हर जरूरतमंद तक सरकारी लाभ पहुंचाने का अभियान चलाया जा रहा है।” उन्होंने बताया कि जनजातीय समुदाय को प्रधानमंत्री आवास योजना, हर घर शौचालय, एलपीजी कनेक्शन, वृद्धावस्था पेंशन, महिला पेंशन और दिव्यांगजन पेंशन जैसी योजनाओं से आच्छादित किया गया है।
सीएम योगी ने जनजातीय समाज की संस्कृति और परंपरा के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि जनजातीय समुदाय की कला, परंपरा और उनकी विरासत को संरक्षित करने के लिए म्यूजियम का निर्माण किया जा रहा है।
बलरामपुर में थारू जनजाति की संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए एक भव्य म्यूजियम बनाया गया है, जिसका उन्होंने स्वयं दौरा किया है। उन्होंने कहा कि “टेक्नोलॉजी को अपनाते हुए अपनी संस्कृति और विरासत से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है।” उन्होंने बताया कि सोनभद्र और बिजनौर के बुक्सा जनजाति वाले क्षेत्रों में भी म्यूजियम बनाए जा रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अपनी विरासत और सांस्कृतिक धरोहर से परिचित कराया जा सके।