उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजनीति मूल्यों और सिद्धांतों की होती है. मूल्य और सिद्धांत विहीन राजनीति मौत का फंदा है. यह मौत का फंदा देश में कथित सेक्युलरिस्टों का वास्तविक चेहरा है, जो हमें समय-समय पर देखने को मिलता है. यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की छठी पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए कही.
वह अटल जी की पुण्यतिथि पर अटल बिहारी वाजपेयी फाउंडेशन द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि समारोह और एकल काव्य पाठ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति के अजातशत्रु के रूप में अटल जी की जो पारी थी, उन्हें एक सर्वमान्य नेता के रूप में हरेक दल का व्यक्ति सम्मान देता था. केवल सत्ता पक्ष ही नहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं कि दल से बड़ा देश होता है. हम देश के लिए समर्पित होकर काम करेंगे.
क्या बोले सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि अटल जी ने अपने जीवन की शुरुआत जिन मूल्यों और पृष्ठभूमि से की थी, उसका उन्होंने आजीवन निर्वहन किया. उन्होंने कहा कि अटल जी ही एक ऐसे राजनेता रहे हैं, जिन्होंने सार्वजनिक जीवन के छह दशक तक सांसद, मंत्री, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की. इस दौरान उन पर कहीं कोई धब्बा नहीं लगा. यह अपने आप में भारत ही नहीं दुनिया की राजनीति का एक ऐसा आदर्श उदाहरण है, जो सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाले हरेक व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है.
राजनीति के बारे में उनका बहुत स्पष्टता के साथ कहना था कि राजनीति बिना मूल्यों और सिद्धांतों के नहीं हो सकती है. यही वजह है कि 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय अटल जी ने कांग्रेस सरकार से देश हित में कहा था कि उन्हें जहां भी सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी. भारतीय जनसंघ देश की सुरक्षा, एकता और अखंडता के लिए आपका समर्थन करेगा. वहीं 1975 में जब देश में कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया.
‘अटल जी राजनीति के अजातशत्रु थे’
सीएम योगी ने कहा कि अटल जी राजनीति के अजातशत्रु थे, उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. चुनाव के परिणाम जो भी रहे हों. वह हारे हों या जीते हों, एक लंबे समय तक उन्होंने लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने लंबे समय तक देश की संसद में रहकर देश की जनता जनार्दन की सेवा की, लेकिन अपने मूल्यों और आदर्शों से कभी विचलित नहीं हुए. कठोर से कठोर बात को भी कितनी शालीनता के साथ कहना है, यह उनके वक्तव्यों के माध्यम से हम सब देख सकते हैं. यही अटल जी का संदेश हम सबके लिये है.