अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के बाद सर्वे को लेकर हो रही बयानबाजी पर भारतीय सूफ़ी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष और खुद को ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज बताने वाले सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा है कि दिल्ली में बैठे कुछ नेता जनता तक गलत संदेश पहुंचा रहे हैं.
अजमेर दरगाह के प्रमुख उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने कहा, “पिछले दो दिनों में हमने देखा है कि दरगाह मुद्दे पर कई तरह के बयान आ रहे हैं. दिल्ली में बैठे कुछ नेता ग़ैर-जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं.”
चिश्ती ने कहा, “लोगों में यह संदेश जा रहा है कि सर्वे के आदेश दे दिए गए हैं, जबकि अजमेर दरगाह के लिए कोई आदेश नहीं आया है. 20 दिसंबर को अदालत मामले की सुनवाई करने जा रहा है. संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं.”
उन्होंने कहा, “अभी तक यही आदेश हुए हैं, लेकिन जो ज़िम्मेदार राजनेता हैं वो बयान दे रहे हैं कि सर्वे का आदेश दिया गया है. जनता तक गलत संदेश नहीं जाना चाहिए.”
सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने संभल के शाही मस्जिद मामले पर भी बयान दिया है. उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने संभल मस्जिद के सर्वे के आदेश पर फिलहाल अंतरिम रोक लगा दी है. मैं सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करता हूं. मैं चाहता हूं कि अजमेर दरगाह को ध्यान रखते हुए सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान ले.”
चिश्ती ने कहा, “जब तक सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ़ वर्शिप एक्ट पर अंतिम फैसला नहीं ले लेता तब तक देश की सभी अदालतों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि किसी भी धार्मिक स्थल पर चाहे वो मंदिर हो, मस्जिद हो या दरगाह हो, किसी भी रूप में सर्वे के आदेश ना दिए जाएं.”