इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के कुछ सहयोगियों ने आईसीजे के फ़ैसले के बाद अदालत पर यहूदी विरोधी भावना और हमास का पक्ष लेने का आरोप लगाते हुए गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
हालांकि, इस बात के कोई संकेत नहीं दिख रहे कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस यानी आईसीजे की ओर से रफ़ाह में सैन्य अभियान रोकने के आदेश के बाद भी इसराइल अपना रुख बदलेगा.
अभी भी इसराइल के टैंक रफ़ाह के मध्य वाले इलाक़ों में पहुंच रहे हैं.
इसराइली सरकार के पूर्व प्रवक्ता इलोन लेवी ने कहा कि फ़ैसला सुनाने वाले पीठासीन न्यायाधीश लेबनानी थे और अगर उन्होंने ‘गलत तरीके’ से आदेश दिया तो वह सुरक्षित ढंग से घर नहीं लौट सकते.
आईसीजे ने इसराइल को ग़ज़ा के रफ़ाह में चलाए जा रहे सैन्य अभियान को रोकने का आदेश दिया था.
आईसीजे ने दक्षिण अफ्रीका की याचिका पर यह फ़ैसला सुनाया.
आईसीजे ने कहा कि इसराइल को रफ़ाह में चलाए जा रहे सैन्य अभियान को तुरंत रोक देना चाहिए, इससे फ़लस्तीनियों को ख़तरा है.
टाइम्स ऑफ़ इसराइल की रिपोर्ट के अनुसार इस आदेश के बाद इसराइल की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और विदेश मंत्रालय ने एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें कहा गया है कि इसराइल ने दक्षिणी ग़ज़ा के शहर में रहने वाले आम लोगों की जान जोख़िम में डालने वाला अभियान न तो चलाया है और न ही आगे करेगा.