यूपीएससी लेटरल भर्ती के विज्ञापन को मोदी सरकार ने मंगलवार को वापस ले लिया लेकिन इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर थम नहीं रहा है.
मंगलवार को डीओपीटी (कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग) मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी अध्यक्ष को पत्र लिखकर इन नियुक्तियों के विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया था.
इसके बाद कई विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रिया आई. इन्होंने कहा कि इनके मुद्दा उठाने के बाद ही सरकार की तरफ़ से ये क़दम उठाया गया है.
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव ने लेटरल भर्तियां रद्द करने के फ़ैसले पर कहा कि सबसे पहले उन्होंने ही इस मुद्दे को उठाया था.
तेजस्वी के इस बयान पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा, “तेजस्वी यादव को कुछ याद दिलाना ज़रूरी है. उनके पिता मनमोहन सिंह की सरकार में रेल मंत्री थे. मनमोहन सिंह सीधे राजस्व सचिव बने, क्या वो कोई आईएएस-आईपीएस थे? विजय केलकर वित्त सचिव बने, बाहर से आए थे.”
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस का इतिहास भरा हुआ है. तेजस्वी यादव थोड़ा होमवर्क करना सीखिए. पीएम मोदी ने स्पष्ट कहा है कि हम पिछड़ों के हक़ पर कोई हमला नहीं होने देंगे. इसलिए हमने इसे रद्द किया.”
तेजस्वी यादव ने क्या कहा था?
तेजस्वी यादव ने लेटरल एंट्री के मुद्दे पर कहा था, “सबसे पहले हमने इस मुद्दे को उठाया और जानकारी दी कि ये लोग लेटरल एंट्री के बहाने आरक्षण को समाप्त करना चाह रहे हैं और संविधान के ख़िलाफ काम कर रहे हैं. ये (बीजेपी) किसी कीमत पर नहीं चाहते कि एससी-एसटी समाज सचिवालय में बैठे बल्कि ये लोग चाहते हैं कि शौचालय में बैठे.”
उन्होंने कहा, “बिना किसी परीक्षा और आरक्षण के आईएएस और आईपीएस भर्ती हो जाएंगे. इसका मतलब संघ के लोगों की भर्ती करने की कोशिश की जा रही है. चिराग पासवान और जीतन राम मांझी क्या कर रहे हैं? ये सिर्फ देख रहे हैं? इन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए. यह दोहरी नीति नहीं चलने वाली है.”