यूपी में आउटसोर्सिंग कर्मियों के खिलाफ अवैध कार्रवाई व शोषण की शिकायतें आम हैं। इन्हें दूर करने और सर्विस प्रोवइडर एजेंसियों को जवाबदेह बनाने का तंत्र विकसित किया जाएगा। सरकार आउटसोर्सिंग कर्मियों की भर्ती, उनकी सेवाओं और सुविधाओं की मॉनिटरिंग के लिए आउटसोर्स सेवा निगम बनाने की तैयारी कर रही है। श्रम विभाग के तहत काम करने वाले इस निगम को विभिन्न अधिकारों से लैस किया जा सकेगा जिससे यह कर्मियों के हितों से संतुलन स्थापित करने हुए प्रभावी कदम उठा सके।
प्रदेश में इस समय 6 लाख से अधिक आउटसोर्सिंग कर्मचारी काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य सहित जन सुविधाओं से जुड़े अहम विभागों के महत्वपूर्ण काम इनके हाथ में हैं। आउटसोर्सिंग के जरिए आने वाले इन कर्मचारियों के वेतन, सुविधाओं सहित अन्य सेवा शर्तों के मानक सरकार ने तय कर रखे हैं, जिन्हें पूरा करने का दावा भी एजेंसियां करती हैं।
लेकिन, नियुक्ति से लेकर सेवा समाप्ति तक के मॉनिटरिंग का कोई व्यवस्थित तंत्र न होने से वह शर्तों का दुरूपयोग भी करती हैं। इसलिए, आउटसोर्सिंग कर्मियों के चयन के लिए अलग से आउटसोर्स सेवा निगम बनाने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया गया है। सभी एजेंसियों को निगम में पंजीकृत होना होगा। इसके जरिए ही विभाग एजेंसियों का चयन करेंगे। वहीं, एजेंसियां अपने कर्मचारियों के चयन की प्रक्रिया भी पूरी निगम की निगरानी में ही पूरा करेंगी।
सूत्रों का कहना है कि पिछले दिनों श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने सीएम योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तावित नीति का प्रजेंटेशन दिया था। सीएम ने नीति को प्रभावी और कर्मचारियों के हितों पर केंद्रित रखने के निर्देश दिए थे। खासकर, आउटसोर्सिंग के जरिए काम करने वाले सभी कर्मचारियों का ईपीएफ खाता हो, उसमें कंपनियों का अंशदान नियमित तौर पर जाए, इसमें विफल रहने पर एजेंसियों की सीधी जवाबदेही तय की जा सके, इसका तंत्र विकसित करने को कहा गया है।
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस पर भी विचार किया जा रहा है कि आउटसोर्सिंग कर्मियों को वेतन निगम के जरिए ही सीधे उनके एकाउंट में भेजा जाए और एजेंसियों को उनकी सेवा के बदले तय कमीशन का ही भुगतान हो। इससे कम वेतन देने, समय से भुगतान न करने जैसी शिकायतों को दूर किया जा सके।
दागी या आपराधिक प्रवृत्ति के लोग सेवाओं में न आ सके, इसलिए कर्मियों के पुलिस वैरिफिकेशन का भी प्रस्ताव है। निगम जहां नियुक्तियों की निगरानी करेगा वहीं, कर्मियों की सेवा समाप्ति में संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की संस्तुति को भी अनिवार्य बनाया जा रहा है। अलग-अलग कैडर के हिसाब से न्यूनतम वेतनमान भी निर्धारित किया जाएगा। कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए रेंडमाइजेशन की जगह एकेडमिक बेस्ड मेरिट प्रणाली लागू करने पर भी विचार चल रहा है।