प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाले भव्य महाकुंभ की दिव्य छठा अभी से दिखने लगी है. महाकुंभ से पहले ही तमाम साधु-संतों और अखाड़ों का कुंभनगरी में पहुंचना शुरू हो गया है. जिसमें कई रंग देखने को मिल रहा है. महाकुंभ में आने वाले कई संत अपने हठयोग और अनोखी तपस्या को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं इन्हीं में से एक श्री महंत देव गिरि महाराज भी अपने काम को लेकर सुर्खियों में बने हैं. वो महाकुंभ में आने वाले लोगों को रबड़ी बनाकर खिला रहे हैं. जिसकी वजह से लोग उन्हें रबड़ी वाले बाबा भी कहकर बुलाते हैं.
श्री महंत देव गिरि महाराज जिन्हें लोग रबड़ी वाले बाबा कह रहे हैं इन दिनों कुंभ नगरी में चर्चा का विषय बने हुए हैं. वो दिनभर रबड़ी बनाते हैं और रोजाना हजारों लोगों को रबड़ी का रसपान कराते हैं. रबड़ी वाले बाबा श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाण में श्रीमंहत पद पर हैं और कई दिनों से महाकुंभ में रबड़ी बनाकर लोगों को खिला रहे हैं. उन्होंने इसे ईश्वर का आशीर्वाद बताया और कहा कि वो सिर्फ लोगों की सेवाभाव से ये काम कर रहे हैं.
रबड़ी वाले बाबा ने कहा कि वो 9 दिसंबर से महाकुंभ में हैं और ये आयोजन छह फरवरी तक चलेगा. हजारों लोग रोजाना इस रबड़ी का सेवन कर रहे हैं. सुबह 8 बजे कढ़ाई चढ़ जाती है. उससे पहले हम अपनी दिनचर्या पूजा-पाठ, स्नान करते हैं. जिसके बाद दिनभर रबड़ी बनाते हैं कुंभ में आने वाले लोगों को रबड़ी का रसपान कराते हैं. उन्होंने कहा कि कढ़ाई चढ़ाने से पहले पूजा की जाती है.
बाबा ने कहा कि हमें रबड़ी बनाने का विचार 2019 में आया. तब से हमने डेढ़ महीना लोगों को रबड़ी खिलाई. ये इसी का आशीर्वाद है कि पहले हम नागा बाबा थे और अब श्रीमहंत है. श्री मंहत का पद अखाड़े में सबसे बड़ा पद होता है. सबसे पहले रबड़ी का भोग कपिल मुनि को लगाते हैं, सभी देवी-देवताओं को भोग लगाकर ही इसे लोगों में बांटा जाता है. ये हमारा अपना कर्म है, यह केवल लोगों की सेवा के लिए है और कोई पब्लिसिटी स्टंट नहीं है.
श्री महंत देव गिरि महाराज ने बताया कि रबड़ी बनाने में किसी का सहयोग नहीं है ये अपने आप चल रहा है. बस ये समझ लीजिए कि इसे मां भगवती, मां काली.. मां आदिशक्ति चला रहीं हैं. कोई दे दे तो बात अलग है. कोई चंदा नहीं ये सिर्फ सेवा है. सभी देवताओं की ऐसी कृपा होगी कि हमारे शरीर को माध्यम बनाकर इस काम को करवा रहे हैं. हमें तो जनता ने पहले ही रबड़ी वाले बाबा का नाम दे दिया है. हम लोगों से यहीं कहेंगे कि सत्य सनातन धर्म के इस पर्व का हिस्सा बनें और यहां आकर पुण्य कमाएं.