सीरियाई विद्रोही बलों ने कहा है कि वे पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के दौरान चलाई जाने वाले बदनाम जेलों को बंद करने की योजना बना रहे हैं. साथ ही उन लोगों की भी तलाश होगी जो यहां बंद कैदियों की हत्या या उन्हें प्रताड़ित करने में शामिल थे.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने विद्रोही नेता अहमद अल-शारा, जिन्हें मोहम्मद अल-जुलानी के नाम से भी जाना जाता है, का एक बयान देखा है, जिसके मुताबिक़ पूर्व सरकार में गठित की गई सुरक्षा बलों को भी अब ख़त्म किया जाएगा.
बशर अल-असद के अपदस्थ होने के बाद सेडनाया जेल से रिहा हुए हज़ारों क़ैदियों के वीडियो काफ़ी चर्चा में रहे. इस जेल को मानवाधिकार समूह ‘कसाईख़ाना’ कहते थे.
यूके स्थित मॉनिटरिंग ग्रुप सीरियन ऑब्ज़रवेटरी फॉर ह्यमून राइट्स ने कहा है कि असद शासन में करीब 60 हज़ार लोगों को जेलों में यातनाएं दी गईं और उनकी हत्या हुई.
जुलानी की अगुवाई वाले इस्लामी गुट हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के साथ अन्य विद्रोही गुटों ने बशर अल-असद को राष्ट्रपति के पद से अपदस्थ किया.
सीरिया की राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्ज़े के बाद असद रूस चले गए और वहां उन्हें और उनके परिवार को शरण दी गई है.