अजमेर दरगाह में शिव मंदिर के दावे वाले मुकदमे को सुनवाई के लिए स्वीकार किए जाने पर भारतीय सूफ़ी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, “संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं, एक है दरगाह समिति, एएसआई और तीसरा अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय.”
समाचार एजेंसी एएनआई से उन्होंने दावा किया कि वो ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज हैं, “मैं ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का वंशज हूं, लेकिन मुझे इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है.”उन्होंने बताया कि उनकी टीम क़ानूनी सलाह ले रही है.
उन्होंने कहा, “देश में ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं. यह हमारे समाज और देश के हित में नहीं है. अजमेर का 850 साल पुराना इतिहास है. मैं भारत सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की अपील करता हूं. एक नया क़ानून बनाया जाना चाहिए और दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए ताकि कोई भी इन जैसे धार्मिक जगहों पर दावा न कर सके.”
समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कोर्ट के आदेश पर सवाल खड़ा किया है.रामगोपाल यादव ने कहा, “इस तरह के छोटे-छोटे जज बैठे हैं जो इस देश में आग लगवाना चाहते हैं. कोई मतलब नहीं है इसका. अजमेर शरीफ पर हमारे प्रधानमंत्री स्वयं चादर भिजवाते हैं. देश दुनिया से लोग वहां आते हैं. उसको विवादों में डालना बहुत ही घृणित और ओछी मानसिकता का प्रतीक है. सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा समर्थित लोग कुछ भी कर सकते हैं, देश में आग लग जाए इससे इन्हें कोई मतलब नहीं है.”
लाइव लॉ वेबसाइट के अनुसार, “हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक याचिका दायर करते हुए दावा किया कि अजमेर दरगाह शिव मंदिर की जगह बनाई गई थी.”
इस याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्थान की अजमेर ज़िला अदालत ने एएसआई, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और अजमेर दरगाह कमिटी को नोटिस जारी किया है. सिविल जज मनमोहन चंदेल ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख़ 20 दिसंबर तय की है.