देश भर के 25 हाईकोर्ट में 749 न्यायाधीश हैं लेकिन इनमें से केवल 98 जजों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा संबंधित प्लेटफॉर्म पर सार्वजनिक किया है. जो कुल संख्या का केवल 13 फीसदी है. हैरानी की बात है कि बाकी जजों ने आदेश के बावजूद अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं है.
देश के कमोवेश सभी हाईकोर्ट के जजों की यही स्थिति हैं. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी मामले में पीछे नहीं हैं. दोनों ही राज्यों के एक भी जज ने अपनी संपत्ति का ब्योरा नहीं दिया है. यह दावा एक मीडिया रिपोर्ट में किया गया है.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट में वर्तमान समय में 84 जज हैं. इनमें से किसी की भी संपत्ति की जानकारी पब्लिक डोमेन में नहीं है. वेबसाइट पर इनके आगे नो मेंशन का ज़िक्र किया गया है.
इसी तरह अगर उत्तराखंड हाईकोर्ट की बात की जाए तो यहां कुल सात जज हैं. इन सात न्यायाधीशों में से भी किसी ने अपनी संपत्ति की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. इन सभी जजों के नाम के आगे भी नो मेंशन लिखा है. जजों की संपत्ति के ब्योरे में उनकी चल और अचल संपत्ति के साथ पति/पत्नी और उनके आश्रितों की संपत्ति की भी जानकारी देना भी शामिल हैं. इनमें शेयर, म्यूचुअल फंड, फिक्स्ड डिपॉजिट, बैंक बैलेंस, बॉन्ड और इंश्योरेंस पॉलिसी की जानकारी शामिल हैं.
इस मामले में केरल हाईकोर्ट सबसे आगे हैं. केरल हाईकोर्ट में वर्तमान समय में 39 जज हैं, जिनमें से 37 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक किया है. वहीं पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के भी 55 में से 31 न्यायाधीशों ने संपत्ति की जानकारी दी है. दिल्ली हाईकोर्ट के 39 में से 11 न्यायाधीशों ने संपत्ति का ब्योरा दिया है. वहीं दूसरी तरफ बॉम्बे हाईकोर्ट से लेकर कलकत्ता, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत देश के अन्य 18 हाईकोर्ट के किसी भी जज ने अपनी संपत्ति की जानकारी नहीं दी है.