हर साल मानसून के दौरान संक्रामक बीमारियों का एक झुंड बढ़ता है. उमस, जलभराव और नमी से भरी हवा रोगाणुओं के पनपने की स्थिति बनाती है और खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों जिनकी इम्यूनिटी ज्यादा मजबूत नहीं होती उनकी सेहत पर असर डालती है और हेल्थ कॉम्प्लिकेशंस बढ़ा देती है.
बढ़ा इन वायरस और बीमारियों का खौफ
गुजरात में चांदीपुरा वायरस, केरल में निपाह वायरस और अमीबिक इंफेक्शन नेगलेरिया फाउलेरी, मुंबई में स्वाइन फ्लू, महाराष्ट्र और कर्नाटक में जीका वायरस, और फिर हमेशा की तरह डेंगू और मलेरिया जो विभिन्न क्षेत्रों में फैल रहे हैं. यानी हर साल इस मौसम में होने वाले डेंगू के अलावा कई और वायरस आपके इर्द गिर्द मंडरा रहे हैं जो जानलेवा भी साबित हो सकते हैं.
बीमारियों का कहर
मानसून से जुड़ी बीमारियों की हेल्थ रिपोर्ट पर नजर डाले तो एक तरफ जहां देश भर में सिर दर्द,माइग्रेन पेट में इंफेक्शन के कारण दस्त, एलिफेंटियासिस, लेप्टोस्पायरोसिस, निमोनिया, , साइनसाइटिस, मेनिन्जाइटिस जैसे कई तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन रिपोर्ट किए गए हैं.
ब्रेन इंफेक्शन बढ़ाता है न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लिकेशंस
अधिकांश इन्फेक्शन में कॉमन फैक्टर ये है कि वे किस तरह से न्यूरोलॉजिकल कॉम्प्लीकेशंस का कारण बनते हैं. ऐसे में इन पैथोजेन्स को समझना इसलिए भी जरूरी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह इन्फेक्शन मस्तिष्क को कैसे संक्रमित करते हैं. एक बार अगर यह समझ में आ गया तो ओवरऑल हेल्थ और मानसून से जुड़ी इन बीमारियों के खिलाफ अवेयरनेस बढ़ सकती है.
ह्यूमिडिटी और माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ
मानसून के मौसम में अक्सर मौसम पर्यावरण और कुछ व्यावहारिक फैक्टर के ब्रेन में इन्फेक्शन करने वाले पैथोजेन्स पनपते हैं. भारी बारिश और बढ़ी हुई नमी बैक्टीरिया, वायरस और अमीबा सहित विभिन्न माइक्रोऑर्गेनिज्म की ग्रोथ उन्हें पनपने का मौका देती है जो गंभीर संक्रमण का कारण बन सकते हैं. ब्रेन इंफेक्शन के बढ़ते जोखिम का एक मुख्य कारण स्थिर पानी का जमा होना है.
मानसून में बढ़ जाता है ब्रेन इन्फेक्शन
मानसून के दौरान, भारत के कोस्टल और राइस बेल्ट क्षेत्रों में ब्रेन इंफेक्शनवृद्धि होती है. इन क्षेत्रों में हाई ह्यूमिडिटी और मच्छरों के बढ़ती ब्रीडिंग से वायरल इंसेफेलाइटिस और अन्य मस्तिष्क संक्रमण होते हैं. ये ब्रेन इंफेक्शन बुखार, सिरदर्द, उल्टी, और डिजिनेसजैसे लक्षण पैदा करते हैं.
बच्चों और बुजुर्गों में इस तरह के संक्रमण की संभावना इसलिए अधिक होती है क्योंकि उनकी इम्युनिटी कमज़ोर होती है. ऐसे में पेरेंट्स को इस मौसम में अपने बच्चों के कुछ लक्षणों पर खास ध्यान देना होगा. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों में चकत्ते और बेहोशी जैसे लक्षण दिखने पर तुरंत सतर्क हो जाना चाहिए.
इसे कैसे रोकें?
मानसून में होने वाली बीमारियों और उनसे जुड़े कॉम्प्लिकेशंस को लेकर जागरूकता अभियान चलाना और मेडिकल इमरजेंसी हेल्प सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए प्रभावी उपाय हो सकते हैं. ब्रेन इंफेक्शन और वाटरबॉर्न डिजीज के प्रकोप से बचने के लिए कुछ एहतियात कदम उठाना भी जरूरी है. जैसे इस मौसम में स्विमिंग करने से पहले खास ख्याल रखना जरूरी है. मानसून में स्विमिंग करने से पहले इस बात को सुनिश्चित करने की पानी दूषित ना हो दूषित पानी में स्विमिंग करने से बचें. सही साफ सफाई, हाइजीन का ख्याल रखें और खास तौर पर अपने वॉटर सोर्सेस को साफ सुथरा रखें.