इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) के गिरफ्तारी वारंट की आलोचना करते हुए इसे “यहूदी विरोधी” फैसला बताया है.
उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर एक वीडियो शेयर कर कहा, “आईसीसी जानबूझकर ग़ज़ा में आम लोगों को निशाना बनाने के झूठे आरोप लगा रहा है. जबकि नागरिकों को हताहत होने से बचाने के लिए हमने सबकुछ किया है.”
आईसीसी ने नेतन्याहू के अलावा इसराइल के पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के ख़िलाफ़ भी युद्ध अपराध के आरोप में गिरफ्तारी वारंट जारी किया है. इनके अलावा हमास कमांडर मोहम्मद दिएफ़ के ख़िलाफ़ भी गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ.
इसराइल ने कहा था कि दिएफ़ की जुलाई में ग़ज़ा में हुए एक हमले में मौत हो गई थी. हालांकि आईसीसी उन्हें मृत नहीं मान रहा है.
अपने बयान में गुरुवार को नेतन्याहू ने कहा, “हेग की अदालत ने जानबूझकर हमपर भुखमरी की नीति अपनाने का आरोप लगाया. वो भी तब जब हमने ग़ज़ा के लोगों के लिए 7 लाख टन खाना भेजा है. लोगों को नुकसान ना पहुंचे इसके लिए हमने नागरिकों को लाखों टेक्स्ट मैसेज भेजे, फोन कॉल किए और पर्चियां भी फेंकीं. जबकि हमास के आतंकी उन्हें नुकसान पहुंचाने के लिए सबकुछ कर रहे हैं, उन्हें मार रहे हैं, उन्हें ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं.”
अपने वीडियो संदेश के साथ नेतन्याहू ने लिखा, “हेग की अंतरराष्ट्रीय अदालत का यहूदी विरोधी फ़ैसला आज का ड्रेफ़स मुक़दमा है और इसका अंत भी उसी तरह से होगा.”
अलफ़्रेड ड्रेफ़स फ्रेंच आर्टिलरी ऑफ़िसर थे, जो यहूदी थे. वह 1894-1906 के बीच यहूदी विरोधी भावना की वजह से साज़िश का शिकार हुए और उनपर जर्मनी का जासूस होने के आरोप लगे. उन्हें उम्रकैद हुई और बाद में वो बेक़सूर पाए गए. इस पूरे मामले को ड्रेफ़स अफ़ेयर के नाम से जाना जाता है.