भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और अमेरिका के बीच संबंधों के बारे में कहा है कि भविष्य में ये प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और रक्षा मुद्दों पर आधारित होंगे.विदेश मंत्री ने ये बात कर्नाटक के बेंगलुरु में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास की स्थापना के दौरान हुए ‘साइट डेडिकेशन सेरेमनी’ के दौरान कही.
इसे भारत की सिलिकॉन वैली के रूप में पहचानी जाने वालें बेंगलुरु में वीज़ा सेवाओं की दिशा में पहला कदम माना जा रहा है.
एस जयशंकर के साथ इस दौरान भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी मौजूद थे.इसके बाद अब भारत भी लॉस एंजेलिस में अपना वाणिज्य दूतावास खोलने वाला है.
इस दौरान एस जयशंकर ने कहा, “आज जब हम एआई (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस), अंतरिक्ष, ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) के दौर में सभी संभावनाओं को देखते हैं. तो हमारे संबंध काफी हद तक प्रौद्योगिकी पर आधारित होंगे.”एरिक गार्सेटी ने कहा कि बेंगलुरु में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास खुलने का विषय अमेरिकी राजदूत के साथ बातचीत के लिए हर किसी का पसंदीदा विषय था.
उन्होंने इसे नई शुरुआत बताया और कहा, “हम अमेरिका में अधिक पर्यटकों, अधिक छात्रों और अधिक व्यापारियों को देखना चाहते हैं.”अमेरिका में राष्ट्रपति बदलने से पहले इसे एरिक गार्सेटी का आख़िरी सार्वजनिक भाषण माना जा रहा है.
जयशंकर ने बताया कि अमेरिका बेंगलुरु में वाणिज्य दूतावास खोलने वाला 12वां देश है. उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि देश में और भी वाणिज्य दूतावास खुलेंगे.”
बताया जा रहा है कि कर्नाटक सरकार वाणिज्य दूतावास के लिए एक जगह की पहचान करेगी. अभी तक जो संकेत मिले हैं उसके मुताबिक ये यहां के व्हाइटफ़ील्ड में होगी. इलेक्ट्रॉनिक सिटी के बाद व्हाइटफ़ील्ड सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए दूसरा सबसे बड़ा हब है.गार्सेटी ने कहा, “हम बेंगलुरु में अमेरिका-भारत संबंधों का भविष्य देखते हैं.”
एच1-बी वीज़ा के सवाल पर उन्होंने कहा, “हम जब साथ होते हैं तो हम मज़बूत होते हैं. अमेरिका को भारतीय श्रमिकों से लाभ हुआ है, हमारे पास भारतीय मूल के अमेरिकी हैं जो प्रशासन में हैं और विश्वविद्यालय भी चला रहे हैं. हम इसे जितना अधिक जारी रखेंगे, उतना बेहतर होगा.”
इस मौक़े पर बायोकॉन की अध्यक्ष किरण मजूमदार ने कहा, “वाणिज्य दूतावास बनाने की मांग काफी समय से हो रही थी. मुझे खुशी है कि ऐसा हुआ. यह नहीं भूलना चाहिए है कि बेंगलुरु में काफी प्रतिभाशाली लोग हैं और इसे पूरी दुनिया पहचानती है.”
इन्फ़ोसिस के संस्थापकों में से एक क्रिस गोपालकृष्णन ने बीबीसी हिंदी से कहा, “मुझे याद है कि मैंने एसएम कृष्णा (1999-2004) के मुख्यमंत्री रहने के दौरान सुझाव दिया था कि बेंगलुरु में एक अमेरिकी वाणिज्य दूतावास खोलना चाहिए.”
बेंगलुरु दक्षिण से बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या ने इसका श्रेय लिया तो केंद्रीय इस्पात एवं भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि इसका सुझाव उन्होंने 2006 में ही दिया था जब वो पहली बार राज्य के सीएम बने थे.
कर्नाटक सरकार में आईटी-बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने बीजेपी के नेताओं के दावे की आलोचना करते हुए कहा कि बेंगलुरु में वाणिज्य दूतावास खोलने का निर्णय पूरी तरह से अमेरिकी सरकार का था. वाणिज्य दूतावास खोलने का निर्णय किसी शहर के आर्थिक महत्व पर आधारित होता है.