देश के कई राज्यों में अलग-अलग मामलों के अभियुक्तों की संपत्तियों पर बुलडोज़र चलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सख़्त टिप्पणी की थी.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर भारत की कई राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया आई है.
इस मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) प्रमुख मायावती ने भी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “देश में आपराधिक तत्वों के ख़िलाफ़ कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए. उनके अपराध की सज़ा उनके परिवार और नज़दीकी लोगों को नहीं मिलनी चाहिए.”
उन्होंने कहा, “अब बुलडोज़र का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के आने वाले फ़ैसले के मुताबिक होना चाहिए. बेहतर यही होगा कि इसके इस्तेमाल की ज़रूरत ही ना पड़े क्योंकि आपराधिक तत्वों से सख़्त कानून के ज़रिए निपटा जा सकता है. “
मायावती ने कहा कि सभी सरकारें इस ओर ज़रूर ध्यान दें.
उन्होंने कहा, “बुलडोज़र के इस्तेमाल के बजाय उन संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए जो ऐसे तत्वों के साथ मिलकर पीड़ितों को सही न्याय नहीं देते.”
इससे पहले लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को स्वागत योग्य बताया था.
राहुल ने कहा था, “बुलडोज़र के नीचे मानवता और इंसाफ को कुचलने वाली भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा अब बेनक़ाब हो चुका है.”
राहुल ने कहा कि “तुरंत न्याय के चक्कर” में “भय का राज स्थापित” करने की मंशा से चलाए जा रहे बुलडोज़र के नीचे अक्सर बहुजन और ग़रीबों की ही घर-गृहस्थी आती है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथ की बेंच ने कहा था कि किसी का घर केवल इसलिए कैसे ध्वस्त किया जा सकता है, क्योंकि वह अभियुक्त है.
बेंच ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दिशा निर्देश तय करेगा ताकी जब भी तोड़फोड़ की कार्रवाई की ज़रूरत पड़े, तो वो उसी आधार पर की जाए.